खूनी दरवाज़ा


वैसे तो लखन राजस्थान जयपुर से था पर बैंक में नौकरी लगने के बाद पहली पोस्टिंग मध्यप्रदेश के गुना जिले में मिली। वो सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में क्लर्क के पद पर आसीन था। नौकरी लगने के 2 साल बाद उसकी शादी सरला से हुई। लखन बहुत ही खुशमिज़ाज और व्यवहार कुशल था। पराये शहर में भी उसने 2 साल में बहुत से दोस्त बन लिए थे।
शादी के बाद से सभी दोस्त लखन के पीछे पड़े थे कि भाभी के हाथ का खाना खिलवा। लखन ने एक दिन सरला से बात कर सबको खाने पर बुलाया। यही कोई 7 लड़के होंगे जिसमे से एक केवल एक ही शादी शुदा था मयंक बाकी सब की शादी नही हुई थी। उस दिन सभी आ गए पर मयंक को आने में ज़रा देर लगी। सब ने देरी से आने का कारण पूछा। उसने बताया उसकी बीवी प्रेग्नेंट है। कहते हैं इस समय भूत प्रेत जल्दी लग जाते हैं तो पीर बाबा के पास से तावीज़ बनवाने गया था। सभी उसका जम कर मज़ाक उड़ाते हैं। निखिल कहता है तू भी ना यार कौन सी सदी में जी रहा है। अजय बोलता है अबे भूत पिशाच कुछ नही होते। सुनील, ऋषि, आर्यन और रवि भी उसका बहुत मज़ाक उड़ाते हैं। मयंक बोलता है तुम लोगों को ये सब मज़ाक लगता है क्योंकि आज तक तुम्हारा सामना किसी भूत प्रेत से हुआ नही है। मगर आज भी भारत मे कुछ ऐसी जगह हैं जहां सूरज ढलने के बाद जाना मना है। आर्यन कहता है अबे सब बकवास है ये। रवि कहता है अच्छा ऐसी बात है तू नाम बता जगह का। मयंक कहता है ज़्यादा दूर नही अपने गुना के पास ही चंदेरी है वहां एक किला है जिसके मुख्य द्वार को लोग खूनी दरवाज़ा कहते हैं। कहते है वहाँ लड़ाई में कई सिपाही मारे गए थे जगह जगह उनके खून के धब्बे आज भी हैं। शाम को सूरज ढलने ले बाद कोई वहाँ नही जाता ऐसा कहते हैं कुछ सिपाहियों की आत्मा आज भी वहां भटकती है। सभी उस पर हंसते है अबे ऐसा कुछ नही है सरकारी समय ही 5 बजे तक का होता है इसीलिए कोई नही जाता होगा सुनील कहता है। अच्छा अगर ऐसा तो तुम क्यों नही जाते देखने, मयंक गुस्से में कहता है। कमरे में 2 मिनट के लिए सन्नाटा पसर जाता है फिर लखन बात को संभालता है," अरे यार पहली बार बीवी से मिलवा रहा हूँ तुम लोग भी क्या भूत प्रेत की बात को लेकर लड़ रहे हो।" तभी रवि कहता है ,"ठीक है इस शनिवार चलते हैं रात को वही रुकेंगे रविवार वापसी। तभी इसका वहम दूर होगा।" लखन वापस सबको शांत करता है, "अरे ये क्या बातें लेकर बैठ गए छोड़ो खाना खाओ।"
सभी दोस्तों के जाने के बाद सरला उससे कहती है कैसे अजीब दोस्त है तुम्हारे। खासकर वो सुनील देखो तुम इन लोगों के चक्कर मे पड़ कर कहीं मत जाना भूत होते हो या नही अपने को क्या। क्यों रिस्क लो ऐसी जगह जाकर। लखन हंस कर बोलता है अरे वो पागल है वो खुद नही जाएगा। इधर सबके सामने स्मार्ट बन रहा था।
लखन और ऋषि एक जगह काम करते थे बाकी कोई बैंक में कोई कॉलेज में कोई बिजली विभाग में था। सब मे केवल एक बात कॉमन थी कोई भी गुना से नही था। शायद इसीलिए सबकी दोस्ती हो गयी क्योंकि उनका इस शहर में कोई दोस्त नही था। शुक्रवार की शाम सभी दोस्त हनुमान मंदिर के सामने मिला करते थे।  उस दिन जब सब मिले तो सुनील ने फिर दोहराया तो फिर क्या प्लान है कल चल रहे हो क्या चंदेरी?
लखन: साले तूने चढ़ा रखी है क्या?
सुनील: क्यों तू करता है क्या भूत प्रेत पर विश्वास?
लखन: देख भाई भूत होते हो या नही क्या पता पर क्या करना अपने को इस लफड़े में पड़ कर मस्त ज़िन्दगी चल रही है क्यों रिस्क लेना।
सुनील: भाई किसी ने कभी कुछ नही देखा बस सुना सुनी में आ गए। चलते हैं अपनी आंखों से देखते हैं।वैसे भी ये शहर काफी बोरिंग है।
ऋषि: और अगर सच मे भूत आ गया तो?
सुनील: अबे यही तो एडवेंचर है। वो रस्सियों से बंध कर ज़िप लाइनिंग नही। उसमे तो पता है सब सेफ है। इधर तो कुछ गारन्टी नही।
आर्यन: भाईयों मुझे लगता है इसका दिमाग खराब हो गया है।
निखिल: आई थिंक ये अच्छा आईडिया है। लाइफ में सारे मज़े किये पर कभी भूतिया ट्रिप पर नही गया चलते हैं ना।
अजय: उस दिन तो सब मयंक का मज़ाक उड़ा रहे थे अब चलने की बात आई तो सब पीछे हट रहे हैं । पर मैं जानता हूं  भूत प्रेत कुछ नही होते। मैं चलने को तैयार हूं।
मयंक: इन तीनो का दिमाग खराब हो गया है।
रवि: भाई मैं अपने माँ बाप का इकलौता बेटा हूँ। मैं तो नही जाने वाला अगर मुझे कुछ हो गया तो उनका क्या होगा।
सुनील: तो ठीक है मैं, अजय, निखिल हम तीनों ही जाते हैं और कोई चलना चाहेगा हमारे साथ?
लखन: भाई मेरी नई नई शादी हुई है मैं तो नही चल रहा। और बीवी को पता चला तुम लोगों के साथ जा रहा हूँ वो भी भूतिया ट्रिप पर तो वो मुझे ही भूत बना देगी।
मयंक: मैं भी वाइफ को इस हालत में छोड़ कर नहीं जाऊंगा।
सुनील: ऋषि और आर्यन तुम दोनों?
आर्यन: अब तुम सब जा रहे हो तो ओके में भी चलता हूँ। देखते हैं।भूत क्या करता है ।
ऋषि: चलो कुछ एडवेंचर करते है।वैसे भी लाइफ यहां बहुत बोरिंग हैं।
अगली सुबह सुनील, अजय, निखिल, ऋषि और आर्यन एक जीप से चंदेरी के लिए रवाना हो जाते है। सुनील साथ मे कैमरा रखता है ताकि बाकियों को सचाई बता सके फ़ोटो दिखा कर और टेंट रखता है।  ऋषि टोर्च रख लेता है अंधेरे में काम आएगी सोच कर। आर्यन भगवान की फ़ोटो रख लेता हैअगर वाकई में भूत आ गया तो दिखा सकेगा जैसा कि फिल्मों में देखा है। अजय दारू की बॉटल्स  और खाने के आइटम्स ले जाता है रात को पार्टी करने के हिसाब से और निखिल म्यूजिक सिस्टम ।
सभी दिन में करीब 12 बजे चंदेरी के बाहर एक ढाबे पर खाना खाने के लिए रुकते हैं। वहाँ ढाबे वाले से सुनील खूनी दरवाज़े के पीछे भूत होने की बात पूछता है। ढाबे वाला कहता है भैया ये कहानी नही सचाई है। हमारे दादाजी खुद एज बार वहाँ फंस गए थे। शाम के 7 बजते ही वहां उन्हें ज़ोर ज़ोर से बाजे बजने की आवाज़ आने लगी वो जल्दी जल्दी साईकल से बाहर आए पीछे देखते है तो साईकल पर एक बकरी का बच्चा बैठा है। थोड़ी देर में वो बकरी का बच्चा बड़ा होने लगा। धीरे धीरे उसके पैर साईकल से नीचे लटकने लगे। हमारे दादाजी ने साईकल वहीं छोड़ी और घर की ओर दौड़ लगाई। ऋषि और आर्यन थोड़ा डर जाते है। निखिल  हंसते हुए  धीमे से कहता है लगता है इसके दादा जी ने चढ़ा रखी होगी इस दिन।
सभी दोपहर में चंदेरी पहुचते हैं वहाँ देवी के मंदिर के दर्शन करते हैं। म्यूसियम घूमते हैं। और शाम को 4:30 बजे चंदेरी के किले में पहुचते हैं।  सभी घूमते घूमते थोड़ा अंदर को चले जाते हैं जिससे किसी को पता ना चल पाए कि वे अंदर है।। शाम को पांच 5:15 बजे महल का दरवाजा बंद करके गार्ड भी चला जाता है अब वो 6 लोग उस किले में  अकेले हैं।
सुनील: अमेजिंग यार  मजा आ रहा है कभी सोचा था ऐसे किसी किले में रात गुजारेंगे।
निखिल: सच में यार राजाओं वाली फीलिंग आ रही है।
ऋषि: अबे अगर सच में 7:00 बजे यहां बाजे बजने लगे तो अपन क्या करेंगे ?
आर्यन :भाई मेरे पास भगवान की फोटो है अपन वो दिखा देंगे।
अजय: अबे इन सब चीजों की जरूरत नहीं पड़ेगी ऐसा कुछ नहीं होगा तुम लोग फालतू मत डरो।
अजय और सुनील कैम्प फायर करने के लिए लकड़िया ढूढ़ने लग जाते है। धीरे धीरे शाम के 7 बज जाते है और अंधेरा होने लगता है। सुनील और अजय लकड़िया जलाते है। निखिल म्यूसिक सिस्टम निकलता है। अजय दारू की बॉटल्स। धीरे धीरे 8 बज जाते है कुछ नही होता सब कुछ सामान्य ही रहता है। सुनील ऋषि और आर्यन से कहता है देखा कुछ नही हुआ 7 से 8 भी बज गए कोई बाजे वाजे नही बजे। अब तो दारू पी लो। ऋषि और आर्यन भी अब निश्चिंत हो जाते है। सब दारू पीते है और जो खाने पीने का सामान लाये थे वो खाते है। रात गहरी हो जाती है सब वही टेंट लगा कर सो जाते है।
रात को करीब 2 बजे तेज़ ठंडी हवा चलती है। ऋषि की नींद खुल जाती है उसे लगा कोई उसके टेंट के पास खड़ा है। पर एकदम से उनके कैम्प फायर की आग बुझ जाती है। शायद हवा के कारण। वो सुनील को उठाता है पर उसे बहुत चढ़ गई होती है और वो गहरी नींद में होता है। ऋषि अपना टोर्च निकालता है और बाहर देखने लगता है उसे कुछ नहीं दिखाई देता वह वापस अपने टेंट में आ जाता है फिर अचानक उससे थोड़ी देर बाद कुछ आवाज आती है और वो फिर चौकन्ना हो जाता है टॉर्च लेकर बाहर निकलता है तो कोई नही होता। पर आवाज़ पास से ही आ रही होती है वह उस आवाज़ की तरफ बढ़ता है।  वो जितना उस आवाज़ के पास जाता वो आवाज उससे उतनी दूर होती जाती है काफी दूर निकल आने के बाद वह आवाज रुक गई। ऋषि ने सोचा पता नहीं कौन था चलो वापस चलता हूं जैसे ही वह वापस जाने के लिए मुड़ा उसको एहसास हुआ वो रास्ता भटक चुका है।
उधर निखिल की आंख खुली तो देखा कैम्प फायर की आग बुझ चुकी है। वो उठ कर कैम्प फायर जलता है। उसके बाद एक बार सबको चेक करने के इरादे से सबके टेंट में जाता है। तो पाता चलता है ऋषि गायब है। वो उसे कॉल करता है पर उसका मोबाईल टेंट में ही होता है। निखिल सबको उठता है पर सब गेहरी नींद में थे केवल आर्यन ही उठा। वो दोनो ऋषि को ढूढ़ने निकल जाते है। निखिल मोबाइल की फ़्लैश लाइट जला कर आगे बढ़ता है। आर्यन उसके पीछे पीछे ।वो जैसे ही किले के एक कमरे में दाखिल होते हैं एक मानव कंकाल उनके ऊपर गिरता है। आर्यन चीख पड़ता है और भगवान की फ़ोटो निकल लेता है। निखिल भी डर जाता है पर फिर हिम्मत करके बोलता है सुना है ना तुमने यहां लड़ाई हुई थी हो सकता किसी सिपाही का कंकाल हो। चलो जल्दी हमे ऋषि को ढूंढना है। उधर ऋषि चलते चलते किसी सीढ़ी पर चढ़ गया जो खत्म ही नही हो रही थी। ऋषि ऊपर जाता तो सीढियां बनती जा रही थी। उसे पहले कुछ समझ नही आया जब बहुत देर चढ़ने के बाद भी कुछ नही हुआ तो उसने सोचा वापस नीचे ही जाया जाए पर जब वो नीचे उतरा तो आखिरी सीढ़ी ही नही आई। सीढियां बनती ही जा रही थी। काफी समय बाद उसे समझ आया। उसके बाद वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाया मुझे बचाओ। उसकी आवाज़ सुन कर निखिल और आर्यन उस आवाज़ की तरफ दौड़े। उसकी आवाज़ से सुनील और अजय की भी नींद खुली वो भी उसी आवाज़ के तरफ भागे।
निखिल और आर्यन ऋषि के पास पहुचे और उन्होंने देखा सीढ़िया एक्सीलेटर की तरह चलती ही जा रही है और ऋषि वहाँ फंसा है दोनों उसे बचाना चाहते है पर फिर सोचते है अगर हम इस पर चढ़े तो हम भी इसी तरह फंस जाएंगे। निखिल आर्यन से कहता है अपने भगवान की फ़ोटो रख दो इस पर। आर्यन जैसे ही भगवान की फ़ोटो रखना चाहता है। निखिल का मोबाइल बंद हो जाता है और ऋषि की टोर्च भी। अंधेरा होने के कारण भगवान की फ़ोटो आर्यन के हाथ से गिर जाती है। एक दम से सीढियो की आवाज़ और तेज़ हो जाती है। ऋषि चिल्लाता है तेज़ और तेज़ आखिरकार उसकी आवाज़ शांत हो जाती है। तभी सुनील और अजय वहां मोबाइल लेकर पहुँचते है। मोबाइल से देखने पर पता चलता है ऋषि वही मरा पड़ा है। सीढिया रुक गयी हैं। निखिल बोलता है जल्दी निकलो यहां से चारों बाहर निकलने के लिए भागते हैं। भागते भागते वो एक ऐसी जगह प्रवेश कर जाते है। जहां कांच की भूल भुलैया होती है। जिधर देखो अपना चेहरा नज़र आता है। सुनील सबको आवाज़ देता है ये क्या इधर तो मैं ही मैं नज़र आ रहा हूँ। निखिल कहता है ये तो सुबह नही थी। आर्यन कहता है मैंने तो पहले ही कहा था यहां मत आओ। अजय पर अब तो आ गए न निकले कैसे?
वो चारो हर  जगह से निकलने की कोशिश करते है पर हर बार खुद से ही टकरा जाते हैं। तभीज़ोरदार अट्हास होता है उसके बाद एक आवाज़ आती है मैं हूँ यहां का राजा बरसों से यही रहता आया हूँ। तुमने मेरी सल्तनत में मेरी मर्ज़ी के बिना कदम रखा है। क्या चाहते हो तुम मेरा तख्त। नही मिलेगा हरगिज़ नही मिलेगा। मुझ तक पहुचने से पहले हमारे सुरक्षा कवचों को भेदना होगा। अगर इन्हें भेद सकोगे तभी मुझ तक पहुँच पाओगे नही तो मारे जाओगे।
चारों डर जाते हैं।
आर्यन: मैंने पहले ही मना किया था। कोई नही बचेगा सब मारे जाएंगे।
निखिल: ये ...ये...भूल भुलैया अपने आप छोटी क्यो हो रही है।
सुनील: अगर हम जल्दी यहां से नही निकले तो ये भूल भुलैया हमे दबा कर मार डालेगी।
अजय: मेरी बात सब ध्यान से सुनो अपनी राइट साइड वाली दीवार को हाथ से छुओ उसी को छूते छूते एक साइड से आगे बढ़ो। मैंने कहीं पढ़ा था भूल भुलैया से निकलने का यही एक रास्ता है।
आर्यन: कोई फायदा नही कुछ नही होगा।
अजय: हिम्मत मत हारो आर्यन हमे है करना ही होगा।
सभी राइट साइड की दीवार पकड़ कर आगे बढ़ने लगते है। भूल भुलैया भी अपने आप मे छोटी होती जाती है। सबसे पहले अजय निकलता है। अजय कहता है मैं बाहर आ गया मैं बाहर आ गया। तुम लोग भी कोशिश करो। सुनील और निखिल भी बाहर आ जाते  है। भूल भुलैया छोटी होती जा रही है केवल आर्यन बचा है वो जल्दी जल्दी बाहर निकलने की कोशिश करता है उसे बाहर का रास्ता दिखने लगता है। पर भूल भुलैया बहुत छोटी हो चुकी होती है वो बड़ी मुश्किल से अपना एक हाथ बाहर निकलता है बाकी सब उसे खींचने की कोशिश करते है पर भूल भुलैया उसे दबा देती है और उन तीनों के हाथ मे उसका हाथ टूट कर आ जाता है।
निखिल फूट फूट कर रोने लगता है। सुनील उसे समझता है निखिल उसका हाथ झटक देता है और चिल्ला पड़ता है सब तेरी वजह से हुआ तुझे ही एडवेंचर का शौक चढ़ा था। दो दोस्त मर गए हमारे हम भी मर जायेंगे। सुनील कहता अरे मैंने किसी को फ़ोर्स थोड़े न किया था तुम सब खुद आये हो अपनी मर्ज़ी से। जिन्हें नही आना था वो नही आये ना। अजय  कहता है अरे अब तुम लोग ये बहस बंद करो और ये सोचो यहां से कैसे निकला जाए उधर देखो एक दरवाज़ा नज़र आ रहा है। तीनो उस दरवाज़े की तरफ बढ़ते हैं। जैसे ही तीनो उस कमरे में पहुचते हैं मशाले जल जाती हैं और तीनों के हाथ मे एक एक तलवार आ जाती है। सामने से 3 सैनिक आते हैं। एक सैनिक का सिर काटा हुआ था केवल धड़ में तलवार पकड़े हुए था। दूसरे सैनिक का एक हाथ काटा हुआ दाहिने ओर के गाल का पूरा मांस निकला हुआ था। तीसरे सैनिक के शरीर पर मांस ही नही था केवल हड्डी का ढांचा था। तीनो के हाथों में तलवारें थी। उनको देखते ही उन तीनों के प्राण सूख गए उस पर तलवार बाजी जिसका उनको कोई आईडिया नही था। पर मरता क्या नही करता तीनो उन तीन सैनिको से तलवार लेकर लड़ने लगे।  उनकी ओर देखना मुश्किल था देख कर डर लग रहा था। निखिल ने तलवार से प्रहार किया उस सैनिक ने निखिल के हाथ मे कई जगह चोटें पहुचाई। अजय की छाती में चोटें आ गयी और सुनील के हाथ से तलवार छूट गयी तो वो जहां खड़ा था वही जेल बन गयी और वो सलाखों  में कैद हो गया। धीरे धीरे अजय औऱ निखिल के शरीर के हर अंग से तलवार की चोटों के कारण खून बहने लगा। उनके हाथों से भी तलवार छूट गयी और वो दोनों भी जहां खड़े थे उस जगह जेल बन गयी और वो दोनों भी सलाखों में कैद हो गए। तभी ज़ोरदार हंसी की आवाज़ आई ऐसी आवाज़ जैसे हज़ार गीदड़ एक साथ चींख रहे हों। वो तीनो सैनिक गायब हो गए और मशालें बुझ गयी। निखिल डर से बेहोश हो गया। सुनील और अजय भी घबरा गए। तभी सब जगह धुंआ भर गया सफेद धुंआ और वो धुंआ एक व्यक्ति के रूप में परिवर्तित हो गया। एक घिनौना चेहरा जो पूरी तरह से जला हुआ था।एक हाथ टूटा हुआ था। वह घिनौना चेहरा फिर हंसा। हंसते हुए वो और भी डरावना लग रहा था । हसने के बाद वो गंभीर स्वर में बोला मुझे हराना बहुत मुश्किल है। तुमने मेरे सल्तनत में कदम रख मेरा तख्त छीनने की कोशिश की इसकी सज़ा तुम्हे ज़रूर मिलेगी। सज़ा ए मौत। सिपाहियों ले जाओ इनको फांसी के लिए।
कुछ सर कटे सिपाही प्रकट हुए उनकी उंगलियां गली हुई थी जिनसे खून बह रहा था। जब उन्होंने सुनील, अजय और निखिल को छुआ उनका वो खून उनके हाथों में भी खून लग गया। जिससे तीनो बहुत डर गए। तीनों को वो फांसी ग्रह में ले गए। तीनो को अलग अलग पत्थर पर खड़ा कर दिया और फांसी का फंदा उनके गले मे डाल दिया। सैनिक के हाथों का खून उनके गले मे भी लग गया। तीनों के आंखों में आंसू थे। सैनिक भाले से पत्थर हटाने लगे। तभी सूरज की किरण किले पर पड़ी। किरण पड़ते ही सैनिक जल कर राख हो गए। पूरा किला पहले जैसा हो गया। राजा भी गायब हो गया। तीनो पत्थर से उतरे। ऋषि और आर्यन की लाशें उन्होंने जीप में डाली और जख्मी हालत में वापस गुना के लिए रवाना हो गए। पर उनमे से कोई भी ज़िन्दगी भर उस रात को नही भूल पाया।


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